वस्तुपरक विज्ञान सम्मत तुलनात्मक अध्ययन आपने प्रस्तुत किया है.
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का ही परिणाम है| इस वस्तुपरक विज्ञान में दो प्रकार के तर्कशास्त्र प्रयुक्त होते है एक वह जो मध्य पद के परिहार के नियम (
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गत्यात्मक ज्योतिषिय अनुसंधान केन्द्र ' द्वारा ग्रहों के गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति को निकालने के सूत्र की खोज के बाद ज्योतिष आज एक वस्तुपरक विज्ञान बन चुका है।
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`गत्यात्मक ज्योतिषीय अनुसंधान केन्द्र ' द्वारा ग्रहों के गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति को निकालने के सूत्र की खोज के बाद आज ज्योतिष एक वस्तुपरक विज्ञान बन चुका है ।
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गत्यात्मक ज्योतिषीय अनुसंधान केन्द्र ' द्वारा ग्रहों के गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति को निकालने के सूत्र की खोज के बाद आज ज्योतिष एक वस्तुपरक विज्ञान बन चुका है ।
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गत्यात्मक द”ाा पद्धति एवं गत्यात्मक गोचर प्रणाली के विकास के साथ ही ज्योति ' ा एक वस्तुपरक विज्ञान बन गया है, जिसके आधार पर सारे प्र”नों के उत्तर हाॅ या नहीं में दिए जा सकते हैं।
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गत्यात्मक दशा पद्धति एवं गत्यात्मक गोचर प्रणाली के विकास के साथ ही ज्योतिष एक वस्तुपरक विज्ञान बन गया है, जिसके आधार पर सारे प्रश्नों के उत्तर हॉ या नहीं में दिए जा सकते हैं।
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गत्यात्मक दशा पद्धति एवं गत्यात्मक गोचर प्रणाली के विकास के साथ ही ज्योतिष एक वस्तुपरक विज्ञान बन गया है, जिसके आधार पर सारे प्रश्नों के उत्तर हॉ या नहीं में दिए जा सकते हैं।
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गत्यात्मक दशा पद्धति ' एवं ' गत्यात्मक गोचर प्रणाली ' के विकास के साथ ही ज्योतिष एक वस्तुपरक विज्ञान बन गया है, जिसके आधार पर सारे प्रश्नों के उत्तर ' हॉ ' या ' नहीं ' में दिए जा सकते हैं।
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ज्योतिष एक पूर्ण सांकेतिक विज्ञान है, इसके द्वारा किसी व्यक्ति की परिस्थितियों की पूरी चर्चा की जा सकती है, 40 वर्षों के गहन अध्ययन और मनन के बाद `गत्यात्मक ज्योतिषीय अनुसंधान केन्द्र' के अपने रिसर्च ‘गत्यात्मक दशा पद्धति' एवं `गत्यात्मक गोचर प्रणाली' के विकास के साथ ही ज्योतिष एक वस्तुपरक विज्ञान बन गया है,जिसके आधार पर सारे प्रश्नों के उत्तर हॉ या नहीं में दिए जा सकते हैं।